श्री कृष्ण भालका तीर्थ वेरावल इतिहास Bhalka Tirth Veraval History of Hindi

श्री कृष्ण भालका तीर्थ वेरावल इतिहास, Bhalka Tirth Veraval History of Hindi

Aug 8, 2024 - 18:13
Aug 15, 2024 - 17:37
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श्री कृष्ण भालका तीर्थ वेरावल इतिहास Bhalka Tirth Veraval History of  Hindi

 भालका तीर्थ  मंदिर का इतिहास हिंदी में

भालका तीर्थ मंदिर का इतिहास हिंदी में: भालका तीर्थ मंदिर भारत के गुजरात में स्थित है और यह स्थान भगवान कृष्ण के ध्यान को समर्पित है, जहां उन्होंने अपना जीवन समाप्त किया था। यहीं की पवित्र गुफा में उनका देहत्याग हुआ था। भालक तीर्थ मंदिर उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है जो भगवान श्री कृष्ण के इस महत्वपूर्ण स्थान की पूजा करते हैं।

गुजराती में भालका तीर्थ मंदिर का इतिहास गुजराती में भालका तीर्थ मंदिर का इतिहास

स्थान का महत्व

भालक तीर्थ मंदिर गिर सोमनाथ मंदिर के पास स्थित है और यह स्थान भगवान कृष्ण के जीवन के एक महत्वपूर्ण क्षण का स्मरण कराता है। यहां भगवान कृष्ण ने अपने अंतिम दिन एक मंदिर में बिताए थे और इसी स्थान पर उनकी मृत्यु हुई थी।

मंदिर निर्माण

भालक तीर्थ मंदिर का निर्माण सोमनाथ मंदिर की प्रस्तावना के बाद किया गया था। यह मंदिर भगवान कृष्ण की पूजा और भक्ति को समर्पित है और लोग इस पवित्र स्थान पर आते हैं और उनकी भक्ति में लीन रहते हैं।

भगवान कृष्ण का गुफा निवास

भालक तीर्थ मंदिर का इतिहास उन दिनों की याद दिलाता है जब भगवान कृष्ण ने अपने जीवन के अंतिम दिन यहां बिताए थे। गुफा में उनके निवास और उनकी मृत्यु ने इस स्थान को अत्यंत महत्वपूर्ण बना दिया है।

भालक तीर्थ की कथा

यह प्राचीन पावन तिर्थ वेरावल से प्रभास जाने के मार्ग पर स्थित है। कथानक अनुसार मद्यपान से चुर यादवो का परस्पर कलह में संहार हुआ। इससे खिन्न होकर भगवान श्री कृष्णजीने यहाँ पिप्पल के पेड के निचे अपना बायाँ पैर दाहिने पैर पर रखकर योग समाधी में बैठे थे। तब जरा नामक व्याध व्याध (शिकारी) ने भगवान श्री कृष्णजी के चरणकमल को मृग का मुख समजकर तीर मारा। व्याध का यह तीर भगवान श्री कृष्णजी के बाहिने पाँव के तलह मे लगा। जब व्याध अपने शिकार के समीप पहुँचा, उसने देखा कि उसका शिकार एक मृग नही परंतु एक यादव पिताम्बरधारी पुरुषोत्तम थे। वह भयभीत होकर अपने अपराध की क्षमा मांगने लगा। तब भगवान श्री कृष्णजीने उसको आश्वासन दिया  जो कुछ हुआ है वह मेरी इच्छा से ही हुआ है।" ऐसा कहकर व्याध को क्षमा कर दिया और अपनी कान्ती से वसुंधरा को व्याप्त करके निजधाम प्रस्थान किया यहाँ व्याधने भगवान श्री कृष्णजी को भल्ल (बाण) मारा इसीलिए यह स्थान को भल्ल (भालका) तिर्थ कहा जाता है।

मंदिर वास्तुकला

भालक तीर्थ मंदिर की वास्तुकला भगवान कृष्ण के समर्पण और भक्ति को दर्शाती है। मंदिर की वास्तुकला भगवान के इस महत्वपूर्ण स्थान के अनुरूप है, जिसमें एक पवित्र गुफा भी समर्पित है।

भालक तीर्थ मेला

भालक तीर्थ मंदिर में हर साल भालक तीर्थ मेला आयोजित किया जाता है जहां स्थानीय लोग और भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करने आते हैं। इस मेले के दौरान संत समागम, कीर्तन और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो भक्तों को एक साथ आने का अवसर प्रदान करते हैं।

निष्ठा और साधना

भालक तीर्थ मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां भक्त भगवान कृष्ण की पूजा और आराधना करते हैं। इस स्थान पर आकर भक्त अपने जीवन को प्रेरणा और मुक्ति की ओर ले जाते हैं।

यात्रा का महत्व

भालक तीर्थ मंदिर के दर्शन से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने और उनके प्रति समर्पण करने में सक्षम होने का एक अनूठा अवसर मिलता है।

अंततः

भालक तीर्थ मंदिर उन लोगों के लिए एक पवित्र स्थान है जो भगवान कृष्ण के अद्वितीय प्रेम और भक्ति को याद करना चाहते हैं। इस स्थान के इतिहास और भक्ति ने इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थान बना दिया है जो हमेशा लोगों को आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है।

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