परिक्रमा से प्रश्नों के कुछ जवाब
Parikarma che parsn ke javab
1. हनुमान जी - परिक्रमा
वेद-पुराण के अनुसार श्रीराम के परम भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान जी की तीन परिक्रमा करने का विधान है।
परिक्रमा शुरू करने के पश्चात् बीच मे रुकना नहीं चाहिए, साथ ही परिक्रमा वहीं खत्म करना चाहिए जहां से शुरू की गई हो । परिक्रमा करते वक्त बीच मे रूकने से वह पूर्ण नहीं मानी जाती ।
हनुमान जी की परिक्रमा करते समय उनका ही ध्यान करना चाहिए ।
2. विष्णु जी - परिक्रमा
सृष्टि के पालनहार अर्थात् विष्णु भगवान और उनके सभी अवतारों की चार परिक्रमा करने पर अक्षय पुण्य की प्रप्ति होती है। परिक्रमा लगाते हुए भगवान की पीठ की तरफ पहुँचने पर उन्हें प्रणाम करना चाहिए। परिक्रमा अधूरी करने से पूर्ण फल नहीं मिलता।
3. पीपल परिक्रमा
शनिवार की शाम को पीपल के पेड के नीचे या शनि मंदिर में शनि देव के नाम से दीप प्रज्वलित करना चाहिए। शनिवार को पीपल में जल देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा चाहिए।
4. गणेश जी - परिक्रमा
श्री गणेश की तीन परिक्रमा ही करनी चाहिए जिससे गणेशजी भक्त को रिद्धि सिद्धि सहित समृद्धि का वर देते हैं । भगवान की परिक्रमा करते समय मन में बुराई, क्रोध, तनाव जैसे भाव नहीं होना चाहिए । परिक्रमा नंगे पैर ही करना चाहिए। गणेश जी के विराट स्वरूप व मंत्र का विधिवत ध्यान करने पर कार्य सिद्ध होने लगते है।
5. शिवलिंग - परिक्रमा
शिवलिंग पूजा में अर्पित की गई सामग्रियों के साथ-साथ शिवलिंग परिक्रमा का भी महत्व शास्त्रों एवं वेदों में बताया गया है। शिवपुराण और शास्त्रों के अनुसार शिव भक्तों को शिवलिंग की आधी परिक्रमा या अर्ध-परिक्रमा करनी चाहिए। इसका कारण यह है कि शिव आदी और अनंत दोनों है । शक्ति शिवलिंग से बहने वाली अनंत हैं जिसे निर्मलि (जलधारी) को कहा जाता है। ऐसा शिव मंदिर जहां जलधारी बाहर खुली हो ऐसी शिवलिंग की आधी परिक्रमा की जाती है, इस संबंध में मान्यता है कि जलधारी को लांघना नहीं चाहिए। जलधारी तक पंहुचकर परिक्रमा को पूर्ण मान लिया जाता है।